मधेश आन्दोलन र नेपाल सरकारको दमन

अपिल 
धनुषा के विगत के मधेश जन्-आन्दोलन के सशक्त एक युवा नेता, ईन्द्र कुमार झा, मधेशानन्द आज ८वे दिन से मधेश की स्वाधिनता, उसकी गरिमा की पूनर्स्थापना तथा मधेशियो के नैसर्गिक अधिकार स्थापपना हेतु आमरण अनसन पर बैठे हुए है । स्वतन्त्र मधेश गठवन्धन उनके पुन्य धाराणा तथा सत्कर्म को सलाम करता है ।
उनका आमरण अनसन केवल उनका नही, अपितु एक्- सवा करोड मधेशियो के उन्मुक्ति, भलाई, शोषण मुक्ती एवम मधेशियो के स्वराज की लडाई है और उनके इस न्ययपूर्ण लडाई मे हम हम सब को साथ देना हमारा धर्म और कर्म दोनो होना चाहिए ।

हम उन नेताओ से भी हार्दिक अपिल कर्ना चाह्ते है – जिनकी फटे चप्पलतक नही लगा पाने की औकात को मधेशानन्द जैसे वीर युवाओ ने बदल कर जेट मे सैर कर्ने, टाई-सुट लगाने,अरबो के मालिक बनने तथा अब्बल नेता कह्लाने का सौभाग्ज्ञ खडा कर दिया ।
मधेशानन्द जी भटके ही सही, मगर आज भी वे उन्ही नेताओ के सुन्दर भविष्य के साथ साथ सम्पूर्ण मधेश और मधेशियो के अधिकार के लिए लड रहे है जिसे वे नेतागण समझ नही पा रहे है । मधेशानन्द जी यही चाह्ते है कि मधेश मे मधेशी नेताअओ की नेतृत्व सबल एवम मजबूत रहे, मधेशी मतदाताओ को गैर-मधेशी नेता या समुदायो का मुह ताक्ना न पडे और इसिलिए को चाह्ते है कि कम से क मधेशी दल के सारे सम्बिधानसभा के सदस्य लोग वहाँ से राजिनामा देकर वापस मधेश आ आए ता कि मधेश के आन्दोलन को बल मिले, मधेशी लोगो मे उत्साह बढे और राज्य पर अन्तर्‍राष्टृय दवाब पडे और राज्य मधेशियो के साथ किए गए सम्झौतो को पालन कर मधेशिओ को अधिकार सम्पन्न बनाए ।
मगर हैरानी की बात यह भी है कि मधेशानन्द जी ने आजतक उन नेताओ को समझ पाने मे कही न कही कुछ न कुछ भूल तो नही रहे है ? क्यून्की उस आन्दोलन क एक छोटा सा टुक्रा मै भी था और मुझे हल्का फल्का समझ मे बात आ गयी और मैने उस नेतृत्व को छोडने का रिस्क उठा लिया ।
आप और आप के समस्त न्यायप्रेमी वीर मधेशी युवाओ से पूनह इस बात पर गम्भीर होने के लिए हमारा अनुरोध है कि क्या आपके सङ्हर्ष या बलिदानी को कोई स्थान मिलने बाला है ? क्या आपको यह नही लगता कि अभी मधेश नेपाली औपनिवेषिक राज्य के खिलाफ लडे तो आजादी जरूर पाएगी, क्यून्की सारा सन्सार मधेशियो का दुश्मन नेपाली राज्य को मानती है, मधेशी नेताअओ को नही । सन्सार यही समझती है कि मधेशी नेता सदन और सडक दोनो पर लड रहे है । और आप उसके खिलाफ लड रहे है- जिसने विज्ञापन ही निकाल दी है कि मरने बाले मधेशियो को पचास लाख रुपए दिए जाएङे तो समझिए आपके सहादत पर भी आपके परिवार को उतने पैसो का व्यवस्था कर दे । मगर मुझे तो वह भी नही लगता है, क्यून्की ०६३-६४के मधेशी सहीदो के परिवरो के साथ इन्होने अपना चरीत्र प्रदर्शन कर चुका है ।
दुसरी बात, आप यह भी देख ले कि मधेशी मोर्चा का जब उद्देश्य एक है तो काम एक क्यू नही ? कोई रजिनामा देकर सडक पर आता है तो उसे दुसरे मधेशी दल नाटक कहाँता है, कोइ प्रचण्ड के आह्वान पर कठमान्डू चल देता है, कोइ मधेश मे घुम कर मृतक और घायलो को सहानूभूती देने चला जाता है तो कोई चार खस दलिय मोर्चा मे भी, १६ बून्दे सम्झौतो मे भी, मधेशियो को हत्या कर्ने योग्य सम्बिधान निर्माण मे भी और आन्दोलन कर्ने की धम्की देने तथा अपने कार्यकर्ताओ को उसी मधेशी मोर्चा के साथ भी रक्खा है । अब आप ही विचार करे, और होशपूर्ण निर्नय ले, यही हार्दिक अपिल है आप से ।
” आन्दोलन से अब आजदी ही ले, स्वायत्त मधेश सब मिथ्या है,
मर्ना नही अब जिना है, उपनिवेश हटाना है, आजाद हमे हो जाना है ।”
“नेपाली उपनिवेश अन्त हो, मधेश देश स्वतन्त्र हो ।”

कैलाश महतो
स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन